प्रकृति ने मनुष्य को जीवन जीने के लिए पृथ्वी पे कई सारी सुविधाएं उपलब्ध कर रखी है परन्तु मानव अपनी लापरवाही के कारण आज कई सारी गुदरती आपदाओं से लड़ना पड़ रहा है। आज हमारे सामने कॉरोना वायरस जो प्रतिदिन हजारों लोगों ही जान ले रहा है इस Covid-19 बीमारी ने हमे सीखा दिया कि भगवान आप की मदत तभी करेगा जब आप अपनी मदत खुद करेंगे।
कोरोना वारस जो पहली बार चाइना देश के वुहान शहर से फैलना सुरु हुआ था जो आज पूरी दुनिया मे अपना तांडव रूप दिखा रहा है जिसके कारण लगभग हर देश ने अपने आप को बचाने के लिए लाकडाउन लगाने का काम किया और गरीब मजदूर जो कई सारी परेशानियो से लड़ना पड़ा जिसमे बहोत बड़ी संख्या में गरीब लोग मर गए जो बहोत दुखदाई है।
कोरोना वायरय पर कविता इन हिंदी | Poem on Corona Virus in Hindi For Students
बहुत भयानक मंजर देखा
दर्द का गहरा समन्दर देखा
हर दिल को दहलते देखा
कोरोना तुमको जब जब देखा
कितनी जाने ले ली तूने
कितने तेरे संक्रमण देखा
जब से होश संभाला मैने
नहीं ऐसा मौत का मंजर देखा
सुनामी ,स्वाइन फ्लू डेंगु, मलेरिया
सबपर बाजी जीत गये
कलयुग में तेरा कैसा खौफ
डरे हुए सहमे हुए सभी
कोरोना अब तो क्षमा करो
जीवनदान का दो अभयदान
स्कूल, माल ,कालेज बंद कराकर
जनजीवन को कर्फ्यू में बदलते देखा
सिकंदर तो देखा नहीं
हां तुमको सिकंदर बनते देखा
कोरोना तुमको जब जब देखा
हरपल खुद को डरते देखा
-मधुलिका
कोरोना का कहर पर कविता | Poem on Covid-19 in Hindi
बिना मास्क के,घर से बाहर
जो भी अपने आएगा।
लेकर उसका कफन हाथ में,
कोरोना आ जाएगा।
नन्हे,मुन्ने, छोटे बच्चे,
राहें तकते आने की।
इतनी जल्दी भी क्या है,अब
इस दुनिया से जाने की।
दूरी जिसने नहीं बनाई,
समझो वो पछताएगा।
लेकर उसका कफन हाथ में,
कोरोना आ जाएगा।
हाथ नहीं जो धोए हमने,
सेनेटाइट नहीं किया।
साँसों के इस सफ़र को आगे,
बढ़ने से फिर रोक दिया।
की जिसने भी लापरवाही,
वो न अब बच पाएगा।
लेकर उसका कफन हाथ में,
कोरोना आ जाएगा।
- सलीम तन्हा
कोरोना वायरस पर हास्य कविता | Short Poetry On Corona in For Class 10 Students
भूल कर भी भीड़ में ना जाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
तुम दो गज दूरी सबसे बनाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
मास्क को हमेशा तुम लगाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
बार बार हाथों को धोते जाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
लापरवाही से तुम बाज आना
हाय राम कोरोना का है जमाना
वैक्सीन भी समय से लगवाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
लक्ष्य है महामारी को भगाना
हाय राम कोरोना का है जमाना
-डॉ मुकेश अग्रवाल
कोरोना योद्धाओं पर कविताएं | Poem on Corona Warriors in Hindi
कौन कहता है ईश्वर जमी पर आते नहीं,
कोरोना योद्धा के रूप में पहचानो उन्हें।
कुछ काफिर थूकते हैं उनके जिस्म पे,
फिर भी वे उनकी सेवा किये जाते हैं।।
जीवों की रक्षा करना ही रव का उसूल है,
वह जीवों के कल्याण में भेद कहाँ करता है।
ईर्ष्या,द्वेष, राग,भय से परे रहकर वह,
सम भाव से सृष्टि का संतुलन बनाए रखता है।।
क्यों बांटते हो उनके अस्तित्व को मानव,
वह हर जीवात्मा के आत्मा में बसता है।
तुमने अपने संकीर्ण सोच में डूबा उनको,
मेरा तेरा बनाकर आपस में उलझता है।।
देख रहा है न उनके बजूद को अभिमानी,
जान के लाले परे हैं,घर में छुपा फिरता है।
मिटाने चला था उनकी रचना को घरा से,
नैनो कोरोना तेरे अस्तित्व पर बन आया है।।
परमाणु बम,जैविक बम बनाकर सोचता है,
तू ही जहान का खुदा बन गया है।
नन्हें से विषाणु के कहर से तो लड़ के दिखा,
क्यों कायरों की तरह घर में छुपा बैठा है।।
कहता है नीर छोड़ो तृष्णा,अभिमान को,
मिटा दो सामुहिक विनाश के हथियार को।
बसा लो करुण भाव धरा के हर जीव के लिए,
ये धरा जन्नत और तू भी खुदा बन जाएगा।।
- निरंजन प्र० सिंह 'नीर'
कोविड 19 पर कविताएं | Corona Virus Par Kavita
गर हो जाए कोरोना
तुम पैनिक मत होना
मजबूत हो तुम बहुत
धैर्य कभी ना खोना
गर हो जाए कोरोना
तुम पैनिक मत होना
ज्यूँ आया तयूं जाएगा
तुम बिल्कुल ना रोना
गर हो जाए कोरोना
तुम पैनिक मत होना
बस जागरूक रह कर
पूरा इलाज करो ना
गर हो जाए कोरोना
तुम पैनिक मत होना
शेर और साँप ना मारे
डर से ही मरन होना
गर हो जाए कोरोना
तुम पैनिक मत होना
तुम मजबूत हो इससे
फिर क्यों मायूस होना
डर के आगे जीत सदा
बस तुम को पता होना
तुम्हारी हिम्मत के आगे
अब के हारेगा कोरोना
-डॉ मुकेश अग्रवाल
कोरोना मुक्त भारत पर कविता|Corona Poem In Hindi
कोरोना से लड़ना होगा , घर के भीतर पड़ना होगा ।
चौराहे पर ये मत देखो ,कितनी हलचल और बची है ?
हम सब एक डगर के राही ,साथ साथ सबको चलना है ।
भारत माता की छाती पर , हमको गलना या जलना है ।
भीड़ भाड़ में कफन ओढ़कर , दानव घूम रहा बन ठनकर ,
आग घूमती जांच रही है , कितनी दमकल और बची है ?
चौराहे पर ये मत देखो , कितनी हलचल और बची है ?1
विष कण हमें डराने आया , छोटा मोटा कीट मान कर।
पूरी दुनियां में यह छाया , डरे हुए सब देश जान कर।
शुरुआत के संक्रमण में , बैठे रहे मुल्क कुछ भ्रम में ,
अब मरघट ये पूछ रहा है , कितनी खलबल और बची है ?
चौराहे पर ये मत देखो ,कितनी हलचल और बची है ?2
राजा आज बना बैठा है ,सकल विश्व का यह कोरोना ।
जीवन लीला के उपक्रम में ,आदम का कद कितना बौना।
अब भी मौका कर्म सुधारो ,आने वाला जन्म सुधारो ,
कीचड़ में घुस कर मत पूछो ,कितनी दलदल और बची है ?
चौराहे पर ये मत देखो , कितनी हलचल और बची है ?3
लख चौरासी जन्म हुए हैं ,तब यह मानस देह मिला है ।
अच्छे कर्मों के बदले में ,पार भ्रह्म का नेह मिला है ।
भारत ही इससे जीतेगा , "हलधर"बुरा समय बीतेगा ,
बहती सरिता से मत पूछो ,कितनी कलकल और बची है ?
चौराहे पर ये मत देखो ,कितनी हलचल और बची है ?4