सरोजनी नायडू भारतीय रानीतिक कार्यकर्ता और कवि के साथ साथ देश प्रेमिका और गायिका भी थीं। इनका जन्म 1879 फरवरी को हैदराबाद में हुआ था।इनके पिता का नाम अघोरनाथ चोट्टापाध्यय था।वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे सरोजनी नायडू को अंग्रेजी, उर्दू, तेलगु,फारसी और बंगाली भषावो के ज्ञान के साथ वह अच्छी छात्रा भी थीं।
सरोजनी 14 साल की उम्र में कविता लिखना शुरू कर दी थी। ब्रिटिश से स्वतंत्रता के लिए सरोजनी नायडू ने भारत के सघर्ष में शामिल होने वाली पहली महिलाओ में से एक थीं। सिर्फ 14 साल की उम्र में सरोजनी नायडू ने सभी अंग्रेजी कवियों के रचनाओ का अध्यन कर लिया था। वह भारती राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बानी।
सरोजिनी नायडू की कविताऐं | Poem on Sarojani Naidu in Hindi
आओ हम सब नमन करें, उस भारत की आवाज को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
भारत माँ ने अपनी कोख से, कवियत्री को जन्म दिया।
नाम सरोजनी नायडू देकर, देश का ऊँचा नाम किया।।
शीश झुकाओ आकर सब कोइ, भारत माँ के राज को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
हैदराबाद की पावन धरती, पर था आपने जन्म लिया।
अपने प्रिय कर्तव्यों से है, माता पिता को धन्य किया।।
ऐसी महान आत्मा के प्रति, नमन करूँ हर काज को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
माता आपकी वरदा सुन्दरी, पिता अघोरनाथ जी थे।
धर्म के प्रति थे सभी धार्मिक, आदर्श आपके राम जी थे।।
जीवन आपका अती सरल, नमन उसी अन्दाज़ को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
राज्यपाल थीं बनीं प्रथम वो, भारत की महिलाओं में।
उत्तर प्रदेश की शासक बनकर, नाम लिखाया शासकों में।।
केसरे हिन्द की पदवी मिली, नमन उसी सरताज़ को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
कवियत्री के रूप में आपको, ख्याति मिली थी दुनिया में।
एक से बढ़कर एक थी रचना, झील की रानी कविता में।।
भारत भूमि में गूंज रही उस, कोकिला की आवाज को।
वंदन व अभिनन्दन कर लें, हिन्द ए कोकिला ताज को।।
एक बार जब वह किसी समस्या पर काम कर रही थी, और उसका समाधान नहीं खोज पा रही थी, तो उन्होंने एक विराम लेने का फैसला किया, और उसी कविता में उन्होंने अपनी पहली प्रेरीत कविता लिखी। उन्होंने " द लेडी ऑफ द लेक " कविता लिखी, जो 1300 पक्तियां लम्बी थीं। कार्डियक अरेस्ट से सरोजनी नायडू की मैत दोपहर 3:30 बजे हो गई। 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवरमेंट हाउस में।