Hindi Poem | Hindi Kavita | Kavita Kosh

Hindi Kavita Kosh:- आप सभी महान माता पिता का स्वागत अभिनंदन करते हुए आज में आप के Bachho के लिए ढेर सारी Short Hindi Kavita लाया हु जिसे आप के बच्चे को बहोत कुशी मिलेगी। जितनी भी कविता होगी वो सारी Hindi Kavita Hindi Kavita होगी जिसे हर Kids पसंद करेगा चाहे Poem Nature, Love, Desh bhakti, Life, Maa, Teachers, Class Rhymes पे हो सकती है। हमारी भाषा हिंदी जिसे भारत के कोने कोने में बोला जाता है परंतु मौजूदा समय में Hindi Language को लोग छोड़ कर English भाषा के तरफ जा रहे जो India के लिए अच्छी बात नहीं है।


बच्चो की हिन्दी कविता : Hindi Kavita for Kids


तितली रानी बड़ी सयानी,
रंग बिरंगे फूलों पर जाती है।
फूलों से रंग चुरा कर,
अपने पंखों को सजाती है।

कोई हाथ लगाए,
तो छूमंतर हो जाती है।
पंखों को फड़फड़ा कर,
हर फूल पर वो मंडराती है।

घूम-घूम कर सारे फूलों की,
खुशबू वो ले जाती है।
फूलों का मीठा रस पीकर,
दूर जाकर पंखों को सहलाती है।
रंग बिरंगी तितली रानी,
बड़ी सयानी।

Hindi Kavita on Life : जीवन पर कविता


जिंदगी से जिंदगी के फासले बढ़ते जा रहे हैं 
दिलों में सबके नफरत के दीए जलते जा रहे हैं 
हर कोई जीना चाहता है इस जहां में,
पर इस दुनिया में जीने के ढंग बदलते जा रहे हैं।  

अपनों से अपने बिछड़ते जा रहे हैं 
सभी आंखों से आंसू छलकते जा रहे हैं
रहना सभी साथ चाहते हैं इस जहां में,
पर सभी के रहने के ठिकाने बदलते जा रहे हैं। 

Hindi Kavita on MAA : माँ पर हिन्दी कविता


  मां ममता की मूरत है 
  मां में बसती भगवान की सूरत है।

  ये सीप में मोती है
  ये आंखों की ज्योति है
  ये जीवन का आधार है
  ये बच्चों में डालती संस्कार है ।

  इसका साथ निराला है
  ये जीवन की पहली पाठशाला है
  अच्छे -बुरे का ज्ञान है देती
  बच्चों में स्वाभिमान है भर देती ।

  खुद खाली पेट है सोती
  बच्चों को भरपेट है देती
  अपना नही रखती ये ध्यान
  अपने बच्चों पर करती अभिमान ।

  मां की शक्ति अपरंपार है
  मां तु गुणों का भंडार है
  जब गोद में उठाती है मां
  तुझ में देवी नजर आती है मां ।
 
  मां न होती तो ये सृष्टि न होती
  "मां तू अतुलनीय है मां तू पूजनीय है ।।" 

Hindi Kavita on Nature : प्रकृति पर कविता

प्रकृति ने रौद्र रूप धरा संकट में सबकें प्राण है।
त्राहि-त्राहि मची चहूं और देश बना श्मशान है।
सृष्टि में जो विष घोला हम सबने ये उसी का परिणाम है।
इस भंयकर महामारी की न जाति है, न ईमान है।
हर घर से है, लाश उठें हर कंधा बेजान है।
पहलें तोडे नियम धरा के अब! रोता क्यों इंसान है ?

Hindi Kavita about Teachers : अध्यापक कविता

गुरु पर्व की परंपरा भारत की पुरातन 
शिक्षक दिवस है गौरवान्वित मेरा मन।
बधाई शिक्षक वर्ग को मेरी ससम्मान ।
साहस हमारा बना रहे वस्तुस्थिति जान। 

समय हमे पुकार रहा संभाल लो ये कमान।
शिक्षा धरोहर बनी रहे सभी को मिले ज्ञान ।
देश सेवा करते है हम भूल मान सम्मान ।
समय परिवर्तन हो रहा भटक रहा ध्यान ।

आज संक्रमण काल है अज्ञानी बांटे ज्ञान ।
शिक्षक वर्ग धन्य है सत्ता कहे वही मान।
अधिकार जिस हाथ उसी की शिक्षा जान।
उसी की शिक्षा नीति उसका सब समाधान ।

नीति अनीति शिक्षा न हो हमारी प्रभावित ।
उन्नति देश की न अवरूद्ध हो कदाचित् ।
यही कर दिखलाए शिक्षक वर्ग संगठित ।
हर बालक बालिका हो हर घर सुशिक्षित ।
सरोज शर्मा शाहदरा दिल्ली स्वरचित

Hindi Kavita on Desh Bhakti : देशभक्ति हिन्दी कविता

 हर किसी को वतन से प्यार होना चाहिए 
देश के लिए हर दिल दिलदार होना चाहिए 

देश की माटी को चंदन समझ माथे लगा ले जो 
फिर वही शेखर सुभाष और भगत चाहिए

 नौजवानों के लहू में जो उबाल ला सके
 ए खुदा हमको फिर वो ही बिस्मिल चाहिए

 जिंदगानी चार दिन का एक मेला ही तो है 
चार पल तो कम से कम वतन के नाम होना चाहिए

 अधिकार मांगते हो अधिकार इसको भी मिले 
आपके तन मन और धन में इसका भी हक चाहिए

 जो देश हित में न सोचे और ना करें काम ही
 ऐसे हर शख्स को देश से बाहर होना चाहिए 

हाथ में पत्थर उठा जो धर्म को भी रुसवा करें 
वो हैवान न किसी धर्म का है 
यह सच सबको पता होना चाहिए

 देश ही इश्क मजहब ईमान होना चाहिए देश 
देशही बंधु सखा भगवान होना चाहिए

 हर किसी को वतन से प्यार होना चाहिए।

Hindi Kavita on Desh : भारत देश कविता

आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

Hindi Kavita for Class 1

मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा,
A B C D पढूंगा मैं भी
क ख ग भी पढ़ कर आऊंगा
सीखूंगा बातें नयी और
आकर सब को बताऊंगा,
मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा।

पढ़ लिख कर इक दिन मैं भी
नाम बहुत ही कमाऊंगा
होगा गर्व तुझे उस दिन
जब देश के काम, मैं आऊंगा,
कलाम, भगत सिंह जैसा बन कर
इस जग में मैं छा जाऊंगा
मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा।

Hindi Kavita for Class 2

आसमान से हँसती-गाती
नील परी भू पर आती है,
आकर के नन्ही बगिया को
खुशबू से यह भर जाती है।

जादूगर-सी छड़ी लिए है
बैठी बच्चों के सिरहाने,
इसके आते ही फूलों से
झरने लगते मीठे गाने।

इसकी मुसकानें मोती हैं
और चाँद है इसकी बिंदिया,
बच्चे इसको खूब जानते-
कहते हैं-लो आई निंदिया!

Hindi Kavita for Class 3

मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?
तुम तो भैया, हम सबके सरताज हो!
फिर क्यों मन्नू जी, इतने नाराज हो?

मन्नू जी, अब आओ न, संग-संग खेलो,
आगे बढ़कर बाँहों में बाँहें ले लो।
मन्नू जी, हर मुश्किल को पीछे ठेलो,
मन्नू जी, हर बाधा को हँसकर झेलो।

भूलो सारे दर्द-तराने, मन्नू जी,
भूलो सारे गीत पुराने, मन्नू जी।
मत लेटो अब लंबी ताने, मन्नू जी,
उठकर चल दो फिर कुछ पाने, मन्नू जी।

ठीक करो सब ताने-बाने, मन्नू जी,
ताजा कर लो फिर पहचानें, मन्नू जी।
थोड़ा खिल-खिल हँस दो, प्यारे मन्नू जी,
तारों के संग नाचें तारे, मन्नू जी।

पता नहीं इन बातों में क्या राज हो?
मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?

Hindi Kavita for Class 4

मेढक मामा
मेढक मामा,
खेल रहे क्यों पानी में,
पड़ जाना
बीमार कहीं मत
वर्षा की मनमानी में।

मेढक मामा
मेढक मामा,
नभ में बादल छाए हैं,
इसीलिए क्या
टर्र-टर्र के
स्वागत-गीत सुनाए हैं।

मेढक मामा,
उछलो-कूदो
बड़े गजब की चाल है,

हँसते-हँसते
मछली जी का
हाल हुआ बेहाल है!

मेढक मामा,
सच बतलाओ,
कब तक बोंबे जाओगे,
बढ़िया
रेनी कोट सिलाओ,
फिर हीरो बन जाओगे!

Hindi Kavita for Class 5

पापा जी, ओ पापा जी,
मेरे अच्छे पापा जी!
बिना बात का गुस्सा छोड़ो
बिना बात की नाराजी,
पापा जी, ओ पापा जी!

पहले तो चल करके बज्जी
हमको बढ़िया कार दिलाओ,
कार दिला करके रसगुल्ले
और इमरती गरम खिलाओ।
छोड़ो-छोड़ो सभी बहाने
छोड़ो सारी मनमर्जी,
कल का वादा, झूठा वादा-
आज घुमाने चल दो जी!
पापा जी, ओ पापा जी!

थोड़ा पढ़ ले, अब तू पढ़ ले-
सारे दिन बस एक कहानी,
कभी जरा-सा सुर तो बदलो
करने दो हमको मनमानी!
घर में पड़ते पैर आपका,
दिल मेरा बस काँपा जी,
क्यों ऐसा है पापा जी?

गुस्सा छोड़ो पापा जी
पापा जी, ओ पापा जी!
मेरे अच्छे पापा जी!

Hindi Kavita for Class 6

लाला जी की प्यारी तोंद,
ढाई मन यह भारी तोंद!

इसमें, पिस्ता-दूध-मलाई
खोया, बरफी, बालूशाही,
आम, पपीते औ’ अंगूर
मन भर लड्डू मोतीचूर।

खाते-खाते थक्कर भाई,
हिम्मत कभी न हारी तोंद!

मालिश इस पर करते लाला,
तेल पिलाकर इसको पाला,
आगे गोल, पीछे गोल-
तोंद बनी लाला की पोल।

पीछे-पीछे लाला चलते-
आगे सजी-सँवारी तोंद!

हर दिन कपड़े छोटे होते
लाला जी तब बरबस रोते,
भीड़-भाड़ मंे चलते डरकर
हाथ लगा, जा गिरे सड़क पर।

सचमुच, आफत हो जाती यदि-
होती कभी हमारी तोंद!

Hindi Kavita for Class 7

पंपापुर जाना है हमको
पंपापुर जाना है,
पंपापुर जाकर मस्ती का
रंग जमाना है!...
पंपापुर जाना है!

पंपापुर जिसमें बच्चों की
इक दुनिया है प्यारी,
खेलकूद, सर्कस, मेलों में
खुशियाँ बिखरीं सारी।
पंपापुर में अलग सभी से
रंग, रंग, बस रंग,
पंपापुर में है जीने का
एक नया ही ढंग।

पंपापुर में तो सपनों का
ताना-बाना है,
पंपापुर से अजी हमारा
प्यार पुराना है।
भूल गए हम पंपापुर को
पंपापुर भी भूला,
पर पंपापुर जाना है अब
पंपापुर जाना है!

पंपापुर जाकर फूलों से
थोड़ा हम खेलेंगे,
नाचेंगे हम झूम-झूमकर
हाथ-हाथ में लेंगे।
पंपापुर में नाटक-कविता
या प्यारी कव्वाली,
पंपापुर में रोज मनेगी
हाँ, अपनी दीवाली!

चलो-चलो जी, आज चलेगा
नहीं बहाना है,
नहीं वहाँ कुछ भी खोना है
सब कुछ बस पाना है!
पंपापुर जाना है-
हमको पंपापुर जाना है!

पंपापुर में खेल-कूद की
है सबको आजादी
किस्से खूब सुनाया करती
थी कल तक यह दादी।
पंपापुर में खुशी-खुशी,
हर बच्चा नाच दिखाए,
पंपापुर में फूल-फूल, हर तितली
सुर में गाए!

गाना है-गाते-गाते ही
पंपापुर जाना है,
पंपापुर में बच्चों का
एक देश बसाना है।
पंपापुर...पंपापुर...मन में,
एक तराना है!
पंपापुर जाना है
हमको पंपापुर जाना है।

फिर आया पानी का मौसम Hindi Kavita for Class 8

तेज फुहारों में इठलाएँ
जी भर भीगें, खूब नहाएँ,
पानी में फिर नाव चलाएँ-
आया शैतानी का मौसम!

ठंडी-ठंडी चली हवाएँ
छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ,
कानों में रस घोल रहा है-
कथा-कहानी का मौसम!

अंबर ने धरती को सींचा
हरी घास का बिछा गलीचा,
कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा-
कोयल रानी का मौसम!

जामुन, आम, पपीते मीठे
खरबूजे लाया मिसरी से,
गरम पकौड़े, चाय-समोसे-
संग-संग गुड़धानी का मौसम!

छतरी लेकर सैर करें अब
मन में फिर से जोश भरें अब,
लहर-लहर लहरों से खेलें-
आया मनमानी का मौसम! 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने