महंगाई पर कविता। Poem On Menhgai In Hindi

आज की कविता मंगाई पे होनी वाली इसलिए महंगाई पर कविता यानी मँहगाई पर हिंदी कवितायेँ लिखी गयी है जिन्हें आप कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के निबंध परीक्षा में उपयोग कर सकते है। भारत के आर्थिक समस्याओ के अन्तर्गत महगाई के समस्या एक प्रमुख समस्या है।

वस्तुओ के मुल्य में  बृध्दि का क्रम इतना तीब्र है कि कुछ कारण जब हम एक वस्तु को दुबारा खरीदने जाते है तो वह वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है उर दिन ओर दिन महगाई आसमान छू  है कि क्या कोई कहा नही जा सकता दिन ओर दिन तीन चार गुना बढ़ जा रही है वस्तुओ में व्रद्धि का कारण महगाई ओर इन कारणों से भारत विकसित नही हो पा रहा है और जनसंख्य व्रद्धि के करण के ही भारत आज विकासील हो रखा है।

महंगाई पर कविता,Poem On Menhgai In Hindi
 Poem On Menhgai In Hindi


सबसे ज्यादा परशानी जंसख्य व्रद्धि जंसख्या व्रद्धि के कारण ही रोजगार नही मिल रहा है ओर महगाई बढ़ती जा रहि है जितनी तेजी से जनसख्या बढ़ रही है।वस्तुए उतनी ही कम हो  रहे है इसका स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि अधिकांस वस्तुए ओर सेवाएं जे मूल्य में  परिवर्तन ओर निरन्तर  व्रद्धि जमर देश कृषि- प्रधान है।

महंगाई पर कविता। Poem On Mehangai In Hindi

महंगाई की मार, हमारी बस्ती में।।
आओ तो सरकार, हमारी बस्ती में।।
सबकी अपनी पीड़ा,सबके अपने दुख।
कौन नहीं बीमार, हमारी बस्ती में।।"

पेड़ सभी वो मुरझाए से रहते हैं।
जितने हैं, फलदार, हमारी बस्ती में।।
नींद में गहरी खुद ही सोए रहते हैं।
हैं कुछ पहरेदार, हमारी बस्ती में।।

जाने किस कोने में जाकर दुबक गई। 
पायल की झंकार, हमारी बस्ती में।।
दूर, दूर तक दिखलाई कब देता है।
सपनों का संसार, हमारी बस्ती में।।

आशाओं के दीप जलाने आए हैं।
फिर ये अबकी बार, हमारी बस्ती में।।
अपने, अपनों से ही रूठे रहते हैं।
होती है तकरार, हमारी बस्ती में।।

अक्सर ही वो लेकर आते रहते हैं।
फूलों के संग खार, हमारी बस्ती में।।
उनकी सारी गाथाओं से भरा हुआ।
बंटता है अखबार, हमारी बस्ती में।।

देख रहा हूँ,अब तो कितनी नफ़रत का।
चलता है व्यापार, हमारी बस्ती में।।
- सलीम तन्हा

यहां  अधिकांस जनसख्या  कृषि पर निर्भर है गत वर्षी से कृषि में प्रयोक्त होने वाले उपकरणों को भी मन जा रहा है कि कृषि से ही हमारा जीवन चल रहे ओर पूरे भारत ने जीवन  चल रही है देश का  किसान ही पूरे देश को जीवन जीने जा राशन ऊगाती है देश को चलने के लिए किसान न अनाज नही पैदा करे तो भारत का पूरे देष क्या खायेगा।

इसी लिए कहा गया है कि किसान को अन्यदाता कहा जाता है जो हर देश को भोजन दे रहा है उसे भगवान मानना चाहिए क्योंकि भगवान किसी का पेट नही भर सकते लेकिन देश का किसान जनता के पेट को भर सकती है ओर पूरी देश का भार रहा है महगाई को खत्म करना हो तो सबसे पहले जनसख्या कम करनी  होगी ओर हर इक आदमी को रोजगार चाहिए तब जाके देश का विकास होगा

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