सुभाष चन्द्र बोस पर कविता | Poem on Subhash Chand Bose in Hindi

आज की कविता बोस जी जिन्हें हम सुभाष चन्द्र बोस के नाम से भी जानते है इसलिए आज बोस जी पर कविता हिंदी में यानि सुभाष चन्द्र बोस पर कविता लिखी गई है ताकि विद्यार्थी जो कक्षा 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के क्षात्र है वे अपने निबन्ध लेखन में अच्छा कर सके।

देश की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों ने जिस यज्ञ को शुरू किया था उसमें जिन जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था उसमें सुभाष चंद्र बोस भी आते हैं सुभाष चंद्र बोस जी का नाम बहुत ही स्नेह और श्रद्धा के साथ लिया जाता है। वीर पुरुष हमेशा एक ही बार मृत्यु का वर्णन करते हैं लेकिन वह अमर हो जाते हैं उनके यश और नाम को मृत्यु मिटा नहीं पाती है। सुभाष चंद्र बोस जी ने स्वतंत्रता के लिए जिस रास्ते को अपनाया था वह सबसे अलग था स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मिट जाने वाले वीर पुरुषों में से सुभाष चंद्र बोस का नाम एक हैं।

सुभाष चन्द्र बोस पर कविता | Poem on Subhash Chand Bose in Hindi
Subhash Chandra Bose Poem Image


नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1898 को उड़ीसा प्रांत के कटक में हुआ था इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। और माता का नाम प्रभावती बॉस था इनके पिता एक वकील थे और बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे नेताजी अपने 14 बहन भाइयों में से नौ वीं संतान थे सुभाष चंद जी के साथ भाई और 6 बहन भी थी अपनी बहन भाइयों में से सबसे ज्यादा लगाओ उन्हें शरद चंद्र बोस से था।

सुभाष चन्द्र बोस पर कविताएं | Poem on Subhash Chand Bose in Hindi


भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संघर्ष के लिए दिया गया उनका महान योगदान अविस्मरणीय है वह वास्तव में भारत के एक सच्चे बहादुर सेना थे जिसने अपनी मातृभूमि की खातिर अपना घर और आराम त्याग दिया था। वह हमेशा हिंसा में भरोसा करते थे और ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता पाने के लिए सैनिक विद्रोह का रास्ता चुना था। बोस जी को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। 

सुभाष चंद्र बोस जी की प्रारंभिक शिक्षा कटक के एक प्रतिष्ठित विद्यालय रेवेशव कॉलेजिएट कॉलेज स्कूल में हुई थी। मैट्रिक की परीक्षा बोस जी ने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की थी बोस जी सन 1915 में बीमार होने के बाद भी 12 की परीक्षा को द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण किया अंग्रेजी में इनकी इतने अच्छे नंबर आए थे कि परीक्षक को विवश होकर यह कहना ही पड़ा था कि इतनी अच्छी अंग्रेजी तो मैं स्वयं भी नहीं लिख सकता।

बोस जी ने सन 1916 में अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया जहां पर उनकी मुलाकात डॉक्टर सुरेश बाबू से हुई थी उन्होंने कोलकाता के स्कॉटिश कॉलेज में ही सन 1919 में बीए की परीक्षा को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया। था बीए की परीक्षा के बाद पिता के आदेश पर उन्हें आईसीएस की परीक्षा के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा था इंग्लैंड में इन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेना पड़ा था।

और वहीं से आईसीएस की परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद स्वदेश लौटे और यहां एक उच्च पदस्थ अधिकारी बन गए सुभाष चंद्र बोस जी को मुलाकात सुरेश बाबू से प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई थी सुरेश बाबू देश सेवा हेतु उत्सुक युवकों का संगठन बना रहे थे क्योंकि युवा सुभाष चंद्र बोस में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध विरोध का कीड़ा पहले से ही कुल बुला रहा था इसी वजह से उन्होंने इस संगठन में भाग लेने में बिल्कुल भी देरी नहीं की थी।

नेता थे इनका निधन 18 अगस्त 1945 में हुआ था जब इनकी मृत्यु हुई थी तो यह केवल 48 वर्ष के थे वह एक महान भारतीय राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्वर्ग के निवास हो गये थे।

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