Makar Sankranti Poems:- आज 14 January की हमारी कविता "मकर संक्रांति पर कविता" के उपर होनी वाली है मकर संक्रांति जो कि हमारे देश का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे पूरा भारत वर्ष बड़े ही धूमधाम से मनाता है इस त्यौहार को भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है जैसे श्रीलंका, म्यांमार नेपाल आदि जब पौष मास में सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है ।
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Credit: NDTV INDIA |
मकर संक्रांति पर कविता। Poem On Makar Sankranti In Hindi
देखो मकर संक्रान्ति आया,
ठंडा- ठंडा दिन है लाया।
गुड़ तिल और मुॅगफली का,
मीठा- मीठा स्वाद चखाया।।
ठंडी- ठंडी हवा चली है,
और ठंडा- ठंडा पानी है।
ठंडा- ठंडा मौसम लाया,
काॅप रही धरती धानी है।।
ठंडा- ठंडा आसमान है,
ठंडे दिखतें हैं चाॅदा- तारें।
उड़ा पतंग मीनार हमारे,
खुश हो जाते बच्चें सारे।।
ठंडा- ठंडा है स्वेटर मेरा,
ठंडा- ठंडा है टोपा मोजा।
निन्नी रानी हैं चुपके- चुपके,
काॅपी डाॅगी है दुबके- दुबके।।
चीं, चीं चहक रही चिड़िया,
फूल खिले हैं कितने सारे।।
पकड़ तितली मस्ती करते,
खेल- खेलते प्यारे- प्यारे।।
ठंड- ठंड में धूप निकलता,
और गगन में सूरज चढ़ता।
फैला रोशनी सारे जग में,
खुशियाॅ देकर आगे बढ़ता।।
रामकली कारे
बालको कोरबा