सूर्य पर कविता | Poem On Sun In Hindi

Poem On Sun In Hindi :- आज की हमारी कविता सूर्य पर होने वाली है जहां तक कि लोगों का कहना है कि सूर्य को वेदों के जगत का आत्मा कहा जाता है,  समस्त जगत की आत्मा सूर्य को माना जाता है सूर्य के वजह से ही आज पृथ्वी में जीवन है यह एक ना झूठ लाने वाला सच है युगो से सूरज को ही पूरी जगह का कर्ताधर्ता माना जाता है|

यदि सूरज ना हो तो धरती बिल्कुल ठंडी और अंधेरी हो जाएगी यहां पर कोई पशु पक्षी और पेड़ पौधे नहीं होंगे क्योंकि पेड़ पौधे को अपना भोजन बनाने के लिए सूर्य की आवश्यकता पड़ती है जब पेड़ पौधे ही नहीं रहेंगे तो जानवर और मानाव कैसे जीवित रहेंगे।

सूर्य पर कविता। Poem On Sun In Hindi

हे उगते सूरज मेरा नमन तुम्हें,
मन करे गगन में आकर छू लूँ।
चुरा तुम्हारी लालिमा भोर की,
अपने बदन में सारी भर लूँ।

न उद्गम का तनिक हर्ष तुम्हें,
न विषाद अस्त का रखते हो।
है अनल समाहित अंतस में,
फिर भी सहज भाव से जीते हो।

हृदय उत्कलित मतंग सम मेरा,
रश्मि विभोर की में स्नान करूँ।
मन करता है सजा लूँ दिनकर
तुमको बिंदियाँ सम ललाट धरूँ।

हे मंदार तुम्हारी तेज कणिका,
मानो स्पर्श तुम्हारा लगती हैं।
ज्यों गिरती हैं ओस कणों पर,
प्रकीर्णन स्वर्णिम दिखती हैं।

तुम ही सृष्टि के संचालक हो,
सदा समय तुम्हारे साथ चले।
 होती परिवर्तित ऋतुएँ सारी,
 ऋतुराज वसंत में फूल खिले।

मैं नमन तुम्हें फिर करती हूँ,
तुम जीवन का कल्याण करो।
अपने तप से प्राणी मात्र के,
तुम्हीं संतापों का हरण करो।
- आई जे सिंह 


सूरज की किरणे पडी धरा पे
चारो तरफ हुआ उजाला है ।
हवा चल रही मद्धम मद्धम 
मौसम भी कितना प्यारा है ।

पंछी उड़ चले आसमान मे,
देखो तो क्या खूब नज़ारा है ।
बागो मे खिले फूल रंग बिरंगे
खुशबू से महका हर गलियारा है ।

- सौरभ लखनवी

     हे सूर्य देव नमस्कार

हे दिनकर, तुम जगत की आत्मा, तुम जीवन का सार।
तुम मार्तण्ड, जग के स्वामी, तुम हो शिरोमणि मन्दार।।

वेद पुराण उपनिषद में कहा, तुम हो ब्रह्म का रूप।
तुम “चक्षो सूर्यो जायत” हो, जीवन देती तेरी धूप।
तुम धरती के सृजन कर्ता, तुम सब ग्रहों के आधार।
तुम मार्तण्ड, जग के स्वामी, तुम हो शिरोमणि मन्दार।।

पूरब से पश्चिम तक छाए हो, दिन और रात बनाये हो।
तुम ऋतुओं के स्वामी हो, हर राशि में तुम्हीं समाये हो।
तुम उत्तरायण से दक्षिणायन, तुम रहते हो रथ पर सवार।
तुम मार्तण्ड, जग के स्वामी, तुम हो शिरोमणि मन्दार।।

तुम ऊर्जा के हो महा पिण्ड, रहस्य खोल रहा विज्ञान।
प्राचीनता से आधुनिकता, अंशुमाली तुम हो सदा महान।
आकाशगंगा तुमसे प्रकाशित, भानु तेरा अनंत विस्तार।
तुम मार्तण्ड, जग के स्वामी, तुम हो शिरोमणि मन्दार।।

सुबह सजाते हो नभ को, अपनी अद्भुत लालिमा से।
भरती मन में नया जोश, गौरव नवमंडल है गरिमा से। 
जन जन करता है नमन तुम्हें, हे सूर्य देव नमस्कार।
तुम मार्तण्ड, जग के स्वामी, तुम हो शिरोमणि मन्दार।।
-आई जे सिंह

आकाश गंगा में एक सामान्य तारे के समान है सूर्य के जैसे लाखो तारे है लेकिन सूर्य के बड़े तारों की तुलना में छोटे तारे ज्यादा है हालांकि आकाशगंगा में सितारों का औसत द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के आधे से भी कम है यदि हम सूर्य को दूरदर्शी यंत्र से देखते हैं तो इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे हमें दिखलाई पड़ते हैं और हम इन्हें सौर कलंक कहते हैं|

बच्चो की कविता सूरज पर 


सूरज दादा रोज़ सवेरे 
तुम क्यों कर उठ जाते हो 
ख़ुद तो सोते नहीं चैन से 
जल्दी हमें उठाते हो 

कम से कम छुट्टी के दिन तो 
छुट्टी तुम भी किया करो 
मंडे से सैटरडे तक ही 
अपनी ड्यूटी किया करो !!

- डॉ आर पी सारस्वत 

परंतु यदि हम इस पर गौर फरमाएं तो यह कलंक अपने स्थान से घिसकते हुए दिखाई देते हैं  ठीक उसी प्रकार जिस प्रकारर अन्य ग्रह और पृथ्वी  सूर्य का चक्कर लगते हैं उसी प्रकार सूरज  भी पूरे आकाश गंगा के केंद्र का चक्कर काटता  है हालांकि सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैस का बना हुआ एक गोला है|

सूरज दादा बाल कविता हिंदी में


सूरज दादा क्यों, ऐंठे हो।
मुँह फुला कर,क्यों बैठे हो।।

आग के गोले, खाते हो।
फिर गर्मी, बरसाते हो।।

बच्चे भी, घबराते हैं।
बाहर खेल न,पाते है।।

कूलर तुम्हे ,दिला दें क्या।
ठंडा जूस, पिला दें क्या।।

इतना क्यों,इतराते हो।
तपते और,तपाते हो।।

बर्फ के गोले,खाओ तुम।
अब ठंडे हो, जाओ तुम।।

-श्रीमती प्रेमलता पंथी

सूरज निकल रहा है हिंदी कविता


सूरज निकल रहा है मेरा देश,
सुना है आगे बढ़ रहा है ,
सूरज निकल रहा है

रिंग टोन से टी0वी0 तक
घिसे पिटे से सुबह शाम तक
वही पुराने बजते गाने
सूरज निकल रहा है

लेकिन सूरज तो बबूल पर
टँगा हुआ है
भ्रष्ट धुन्ध से घिरा हुआ है
कुहरों की साजिश से हैं
घिरी हुई प्राची की किरणें
कलकत्ता से दिल्ली तक
धूप हमारी जाड़े वाली  
कोई निगल रहा है
सूरज निकल रहा है

एक सतत संघर्ष चल रहा
आज नहीं तो कल सँवरेगा 
सच का पथ
नहीं रोकने से रुकता है 
सूरज का रथ
’सत्यमेव जयते’ है तो
सत्यमेव जयते-ही होगा
काला धन पिघल रहा है

-आनन्द पाठक

आप के जानकारी के लिए बता देता हूं कि सूर्य जिसे हम सूरज कहते है वो कैसे बना है? सूर्य के निचले भाग का निर्माण हाइड्रोजन, हीलियम ,ऑक्सीजन सिलिकॉन ,निकल, लोहा, मैग्नीशियम  ,निऑन कैल्शियम ,कार्बन, क्रोमियम से हुआ है वर्तमान में सूर्य के द्रव्यमान का 70%हीड्रोजन और 26%हीलियम और 2.5% अनन्य धातु /तत्व  है।

सूर्य का केंद्रीय भाग को कोर कहा जाता है इसका तापमान 15600000 डिग्री केल्विन (1.5×107℃) है और इसका दबाव 250बिलियन वायुमंडलीय दबाव  है सूर्य का कुल 20%भाग ही उजवालित है अगर आप एक छात्र होंगे तो आप को ये सब पता होगा।

बहोत ख़ुशी हो रही है ये जान के की आप ने हमारा लिखा गया ये लेख पूरा पड़ा मुझे उम्मीद है कि आप को सूरज पर कविता या सूर्य पर कविता को बहोत पसंद आई होगी आगे भी हम सूर्य पर कविता लिखते रहेंगे बस आप हमारे साथ बने रहे। धन्यवाद 

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