माँ पर कविताएँ | Poem In Hindi On Maa

Maa Poems Hindi:- माँ जो अपनी सारी खुशियां अपने बचों में लूटा दे ताकि वे खुश हो जाये। इस धरती पर अगर कोई भगवन है तो वो हमारी आपकी मा है जिसे अपने बचों को खुश देखकर खुसी मिलती हैं। आज आप को कुछ कविताएं देखने को मिलेगी जो मा पर आधारित हैं। यहां आपको मा के ऊपर सारि कविताये मिलेगी जिसे आप Mothers Day 2021 के दिन आप अपनी माता को सुना या फिर उन के Whatsapp पर भेज कर Wish कर सकते हैं।

माँ  पर कविताएँ | Poem In Hindi On Maa

माँ  पर कविताएँ Poem In Hindi On Maa

मेरी प्यारी माँ तू कितनी प्यारी है
जग है अंधियारा तू उजियारी है,

शहद से मीठी हैं तेरी बातें
आशीष तेरा जैसे हो बरसातें
डांट तेरी है मिर्ची से तीखी
तुझ बिन ज़िंदगी है कुछ फीकी,

तेरी आंखो में छलकते प्यार के आंसू
अब मैं तुझसे मिलने को भी तरसूं
माँ होती है भोरी भारी
सबसे सुन्दर प्यारी प्यारी

Short Poem On Mata For Kids Class 1,2,3,4,5,6


घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरों पर खड़ा हुआ,
तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हुआ.

काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है,
मैं ही मैं हूँ हर जगह,
माँ प्यार ये तेरा कैसा है?

सीधा-साधा, भोला-भाला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ,
कितना भी हो जाऊ बड़ा,
“माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ|

Love Touching Poem On Maa

भगवान का दूसरा रूप है माँ, 
उनके लिए दे देंगे जां, 
हमको मिलता जीवन उनसे,
कदमो में है स्वर्ग बसा,

हमारी खुशी में खुश हो जाती, 
दुःख में हमारे आंसू बहाती, 
कितने खुशनसीब है हम, 
पास हमारे है माँ।

वो मेरी आँखों की ज्‍योति‍
मैं उसकी आँखों का मोती।
कि‍तने आँचल रोज भि‍गोती,
वो फि‍र भी ना धीरज खोती।

शब्‍द नहीं माँ कैसी होती,
माँ तो बस माँ जैसी होती।
आज हूँ जो, वो कभी न होती,
मेरे संग जो माँ ना होती।

Sad Heart Touching Poem In Hindi

फूल कभी दोबारा नहीं खिलते
जन्म कभी दोबारा नहीं मिलते

मिलते है लोग हजारो,
पर हजारो गलतियां माफ़ 
करने वाले माँ-बाप नहीं मिलते।

माँ की ममता करुणा न्यारी,
जैसे दया की चादर
शक्ति देती नित हम सबको,
बन अमृत की गागर
साया बन कर साथ निभाती,

चोट न लगने देती
पीड़ा अपने उपर ले लेती,
सदा सदा सुख देती
माँ का आँचल सब खुशियों की,
रंगा रंग फुलवारी
इसके चरणों में जन्नत है,

आनन्द की किलकारी
अदभुत माँ का रूप सलोना,
बिलकुल रब के जैसा
प्रेम के सागर सा लहराता,
इसका अपनापन ऐसा..

माँ  पर कविताएँ Poem In Hindi For Maa

माँ भगवान का दूसरा रूप
उनके लिए दे देंगे जान
हमको मिलता जीवन उनसे
कदमो में है स्वर्ग बसा

संस्कार वह हमे बतलाती
अच्छा बुरा हमे बतलाती
हमारी गलतियों को सुधारती
प्यार वह हमपर बरसती...

तबियत अगर हो जाए खराब
रात-रात भर जागते रहना

माँ बिन जीवन है अधुरा
खाली-खाली सुना-सुना
खाना पहले हमे खिलाती
बादमे वह खुद खाती...

हमारी ख़ुशी में खुश हो जाती
दुःख में हमारी आँसू बहाती
कितने खुश नसीब है हम

पास हमारे है माँ
होते बदनसीब वो कितने
जिनके पास ना होती माँ….

माँ  पर कविता Maa Par Kavita In Hindi

माँ की ममता करुणा न्यारी,
जैसे दया की चादर,

शक्ति देती नित हम सबको,
बन अमृत की गागर,

साया बनकर साथ निभाती,
चोट न लगने देती,

पीड़ा अपने ऊपर ले लेती,
सदा सदा सुख देती

माँ तो जन्नत का फूल हैं,
प्यार करना उसका उसूल हैं,

दुनिया को मोहब्बत फिजूल हैं,
माँ की हर दुआ कबूल हैं,

Poetry In Hindi On Maa With Lyrics


Meri Pyari Maa

बचपन में सोचा करती थी मैं ,
बैठ कदम्ब के पेड़ के नीचे,
कि “माँ” ही वो दौलत है मेरी ,
जो इतने स्नेह से मुझको सींचे ।

विद्यालय से झूठ बोलकर आ,
जब मै कमरे में छुप जाती थी,
तब “माँ” ही मुझको समझाकर ,
प्यार से गले लगाती थी ।

सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।

Poem In Hindi About Mother

मम्मी
परीलोक की कथा-कहानी
हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी,
फूलों वाले, तितली वाले
गाने मुझे सिखातीं मम्मी।

खीर बने या गरम पकौड़े
पहले मुझे खिलातीं मम्मी,
होमवर्क पूरा कर लूँ तो-
टॉफी-केक दिलातीं मम्मी।

काम अगर मैं रहूँ टालता
तब थोड़ा झल्लातीं मम्मी,
झटपट झूठ पकड़ लेती हैं
मन-ही-मन मुसकातीं मम्मी।

रूठूँ तो बस बात बनाकर
पल में मुझे मनातीं मम्मी,
बड़ा लाड़ला तू तो मेरा-
कहकर मुझे रिझातीं मम्मी।

 वो एक माँ है ..

वो एक माँ है ,जो अपने बच्चों की खातिर,
जीवन में सौ सौ कष्ट उठाती है ।
कैसी भी विकट परिस्थितियां हो चाहे,
वो अपनी किस्मत से भी लङ जाती है ।

चंद्र भौम पर पहुँच रहा है मानव,
पर गरीबों की आज भी यही कहानी है,
संघर्षों और कष्टों के पथ पर चलकर,
गरीब माँ को दो जून की रोटी कमानी है ।

कङकङाती ठंड हो या ग्रीष्म का ताप हो,
निकलना है काम पर चाहे भीषण बरसात हो,
संघर्षों से लङती भिङती ,दो रोटी जुटाती है, चाहे बोझ हो कितना हँस कर सहती जाती है।

खून पसीना बहाती ,कंचन काया पिघलाती
बच्चो की खातिर हर कष्ट सह जाती है ।
वो एक माँ है ,जो अपना हांङ माँस गलाती है 
तब जाकर बच्चों को दो निवाले खिलाती है।
       
                वंदना शरद

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