जनसंख्या पर हास्य कविता | Jansankhya Par Hasy Kavita in Hindi

World Population Day 2021 Poetry:- मनुष्य ने अपनी आवाज दी अत्यधिक पढ़ा रही है जिसके कारण आज भारत और अन्य देशों में कई जगह पानी की कमी का होना सूखा पड़ना बारिश ना होना और भी कई प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल गई है जो हमारे लिए गंभीर समस्या बन चुका है।

विश्व भर में 11 जुलाई 2021 को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है इसका उपदेश मानव समाज की आबादी की रफ्तार को कम करना है।

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जनसंख्या पर हास्य कविता- World Population Day Poetry in Hindi With Pictures

भइया हंसते हंसते 
दूर से ही करता हुं नमस्ते
जनसंख्या वृद्धी है महामारी इसे ना लो तुम सस्ते सस्ते
वर्णा तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते !

कहता  हुं मै साफ साफ
बढती जनसंख्या है एक सामाजिक अभिश्राप
इस धरती पर बढ रहा है जनसंख्या माप
इसलिये मुंह छुपाकर छुप रहे है हम और आप !

आज जीवन हो गया बडा हाहाकार 
और बढ जायेन्गा जग में अनाचार
अस्वस्थ होगी सभी की मानसिकता और व्यवहार
तब ना होंगे सुंदर और सात्विक विचार !

जीवन हो गया बढा सस्ता 
सभी की एक जैसी है दास्तां
सब पेट के लिये हो जायेंगे खस्ता 
इस मुश्कील से निकालना पडेगा रास्ता  !

इस जनसंख्या वृद्धी से समस्या हुई खडी
टूट रही है देश के विकास की लडी 
स्वस्थ और छोटा परिवार की रेख करो अब खडी
तभी तो संसार में खुशिया होगी खरी !   
- कवी विनोद मोहबे





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हम सभी जानते हैं की भारत देश की अपाचे दुनिया में दूसरे नंबर पर आती है हम भारतीय लोगों को अपनी जनसंख्या की बढ़ोतरी अत्यधिक मात्रा में ना हो इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में हमें किसी भी प्रकार की हानि का सामना ना करना पड़े अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें और उन्हें भी जागरूक करें।

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