शव वाहिनी गंगा कविता | Parul Khakkar Poem in Hindi

Parul Kakkar Ganga Poem:- भारत देश के काव्य लेखकों ने अपनी काव्य रचनाओं से हमारे देश में होनी वाली घटनाओं को दर्शाते हुए कई कविताएं लिखी गई जो आम जनमानस तक पहुंच सका। इस Corona Virus के समय मौजूदा सरकार की नकामिया दिखाते हुए गुजरात राज्य की सबसे चर्चित काव्य लेखिका "पारुल खक्कर" ने एक गुजराती कविता लिखी जिसका शीर्षक शव वाहिनी गंगा (meaning लाशों को ढोती गंगा नदी) इस कविता ने बहोत सही तरीके से भारत की हालात लोगो तक पहुंचाई यही कारण था कि इस गुजराती कविता का अनुवाद हिन्दी में किया जो नीचे दिया गया है।  
शव वाहिनी हिन्दी कविता कोश Best Poem of Ganga Parul khakkar


Parul Khakkar Poems in Hindi - शव वाहिनी गंगा कविता


एक साथ सब मुर्दे बोले ‘सब कुछ चंगा-चंगा
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा
ख़त्म हुए शमशान तुम्हारे, ख़त्म काष्ठ की बोरी
थके हमारे कंधे सारे, आँखें रह गई कोरी
दर-दर जाकर यमदूत खेले
मौत का नाच बेढंगा
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा।

नित लगातार जलती चिताएँ
राहत माँगे पलभर
नित लगातार टूटे चूड़ियाँ
कुटती छाति घर घर
देख लपटों को फ़िडल बजाते वाह रे ‘बिल्ला-रंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा।

साहेब तुम्हारे दिव्य वस्त्र, दैदीप्य तुम्हारी ज्योति
काश असलियत लोग समझते, हो तुम पत्थर, 
ना मोती हो हिम्मत तो आके बोलो
‘मेरा साहेब नंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा।
~पारुल खक्कर

Parul kahhan Poem Shav Vahini Ganga in Hindi 






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