आज की कविता शिवाजी जी जिन्हें हम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से भी जानते है इसलिए आज शिवाजी पे कविता हिंदी में यानि छत्रपति शिवाजी महाराज पर कविताएँ लिखी गई है ताकि विद्यार्थी जो कक्षा 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के क्षात्र है वे अपने परीक्षा में अच्छा कर सके।
छत्रपति शिवाजी महाराज एक बहादुर बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। उनका जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में महाराष्ट्र के शिवनेरी में हुआ था। शिवाजी के पिता शाह जी और माता जीजाबाई थी माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली होते हुए। भी गुड़ स्वभाव और व्यवहार में वीरांगना नारी थी। इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन पोषण रामायण महाभारत था अन्य भारतीय वीर आत्माओं की उज्जवल कहानियां सुना और शिक्षा देकर किया था।
बचपन में शिवाजी अपनी आयु में बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और पीले जीतने का खेल खेला करते थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन 14 मई 1640 में सही बाई निंबालकर के साथ हुआ था उनके पुत्र का नाम संभाजी था। संभाजी शिवाजी के जेष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे जिसने 1680 से 1689 इसवी तक राज्य किया। संभाजी में अपने पिता की कर्मठता और दृश्य संकल्प का अभाव था। संभाजी की पत्नी का नाम यसुबाई था। उससे उनके पुत्र और उच्च अधिकारी राजाराम थे शिवाजी के समर्थ गुरु रामदास का नाम भारत के साधु-संतों व विद्वत समाज में सुविख्यात है।
छत्रपति शिवाजी महाराज पर कविता। Poem on Shivaji Maharaj in Hindi
शिवाजी की मुक्ति की शर्तों के मुताबिक शिवाजी राजा ने बीजापुर के क्षेत्र पर आक्रमण तो नहीं किया पर उन्होंने दक्षिण पश्चिम में अपनी शक्ति बढ़ाने की चेष्टा की पर इस क्रम में जावली का राज्य बाधा का काम कर रहा था। यह राज्य सातारा के सुदूर उत्तर पश्चिम में वामा और कृष्णा नदी के बीच में स्थित था।यहां का राजा चन्द्रराव मोरे था जिसने यह जागीर शिवाजी से प्राप्त की थी।
शिवाजी ने मोरे शासक चंद्र राव को स्वराज में शामिल होने को कहा पर चंद्र राव बीजापुर के सुल्तान के साथ मिल गया संत 1656 में शिवाजी ने अपनी सेना लेकर जावली पर आक्रमण कर दिया चंद्र राव मोरे और उसके दोनों पुत्रों ने शिवाजी के साथ लड़ाई की पर अंत में वे बंदी बना लिए गए पर चंद्र राव भाग गया। स्थानीय लोगों ने शिवाजी के इस कृत्य का विरोध किया पर वे विद्रोह को कुचलने में सफल रहे।इससे शिवाजी को उस दुर्ग में संग्रहित 8 वंशो की संपत्ति मिल गई।इसके अलावा कई मार्वल सैनिक मुरारबाजी देशपांडे भी शिवाजी की सेना में सम्मिलित हो गए। शिवाजी के बीजापुर तथा मुगल दोनों शत्रु थे।
उस समय शहजादा औरंगजेब दक्कन का सूबेदार था।इसी समय 1 नवंबर 1656 को बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह की मृत्यु हो गई जिसके बाद बीजापुर में अराजकता का माहौल पैदा हो गया।इस स्थिति का लाभ उठाकर औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया। और शिवाजी ने औरंगजेब का साथ देने की बजाय उस पर धावा बोल दिए उनकी सेना ने जुन्नार नगर पर आक्रमण कर ढेर सारी संपत्ति के साथ 200 घोड़े लूट लिए अहमदनगर से 700 घोड़े 4 हाथी के अलावा उन्होंने गुंडा तथा रेसिन 3 के दुर्ग पर भी लूटपाट मचाई।
इसके परिणाम स्वरूप औरंगज़ेब शिवजी से खफा हो गया और मैत्री वार्ता समाप्त हो गयी। शाहजहां के आदेश पर औरंगजेब ने बीजापुर के साथ संधि कर ली और इसी समय शाहजहां बीमार पड़ गया। उसके यदि ग्रस्त होते ही औरंगजेब उत्तर भारत चला गया और वहां शाहजहां को कैद करने के बाद मुगल साम्राज्य का स्थान बन गया। उम्मीद करता हु आपको जीवनी अछि लगी होगी और आप ऊपर के कविताएँ पसंद आई होगी।
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