नारी अत्याचार अपमान पर कविता इन हिंदी| Nari Atyachar Par Kavita

नारी है तभी दुनिया आज सारी है इतिहास गवा है हजारों सालो से महिलाओंं को एक वस्तु के तरह देखा गया है। जबकि ऐसा बिल्क़ुल भी नहीं है भगवान ने सभी को एक समान बनाया ये तो हमारे पुर्वजे के कारण ऐसा हुआ की लॉगो ने लड़के लड़की का भेद करना शुरू कर दिया। यही करन है की आज महिला ओं के ऊपर अत्याचार होता है नारी लॉगो को पुरुष ने हमेशा ही प्रताड़ित किया है।


ये जरूरी नहीं है की नारी भेदभाव केवल एक देश में होता है । दुनिया के हर देश में नारी का असमान्य और अत्याचार होता है। भारत में तो नारी की इस्थिति बहुत खराब है। आज उसी के ऊपर कविता है नारी पे अत्याचार कविता इन हिंदी।


नारी अत्याचार पर कविता। नारी के अपमान पर कविता




समय आज विपरीत हो गया
पग पसारता पाप विकार
इस धरती पर आज हुए
निष्प्राण प्राण पर अत्याचार

नारी पर अत्याचार हुए
संग उनके दुर्व्यवहार हुए
माँ बहनो पर व्यभिचार हुए
निर्बल निर्धन लाचार हुए

गंगा तेरी निर्मलता अब
छूट गयी सदियों के पार
यमुना तेरी शीतलता में
कोटि हो रहें अत्याचार

क्यों नारी किस्मत की मारी
क्यों पड़ती कमजोर लाचार
बनकर काली रसना पसार
उठा हाथ में अब तलवार

बन फूलन देवी करो वार
बन झलकारी लेकर हथियार
तीखी करके संगीन धार
कर दे बैरी के आर पार

भर खाली खप्पर खून भार
बन चंण्डी खर का सर उतार
बोल भवानी की जयकार
वध फिर दानव एक बार
                              - अवनीश राज


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उम्मीद है की आप को नारी के अपमान पर कविता की लाइन सही लिखी गई होगी। महिला हिंसा पर कविता, नारी शोषण पर कविता, नारी अस्मिता पर कविता, नारी उत्पीड़न पर कविता, नारी के अपमान पर कविता,नारी अत्याचार पर कविता भी इसे कह सकते है। चलिए आप से उम्मीद है की आप महिलाओंं को सम्मान करेंगे।

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