चाँद का कुर्ता कविता | Chand Ka Kurta Poem in Hindi

Chand Ka Kurta Poem Summary :- दुनिया के सभी बच्चो के लिए सबसे मासूमियत वाली काव्य चांद का कुर्ता कविता "रामधारी सिंह दिनकर" जी की रचना है जो की बाल कविता पर आधारित है। इस Kavita में Ramdhari Singh Dinkar ने ये बताया है की एक स्थान से दूसरे स्थान पर रात्रि में यात्रा करते हुए जब चाँद को सर्दी (ठंड) लगने लगी तो Moon ने अपने मां से झिंगोला सिलवाने के लिए कहता है किंतु मां को ये समझ नही की चाँद को किस नाप का कुर्ता लगेगा क्योंकि चांद रात में घटता-बढ़ता रहता है।

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चाँद का कुर्ता कविता | Chand Ka Kurta Kavita in Hindi - Ramdhari Singh Dinkar


एक बार की बात, चंद्रमा बोला अपनी माँ से
"कुर्ता एक नाप का मेरी, माँ मुझको सिलवा दे
नंगे तन बारहों मास मैं यूँ ही घूमा करता
गर्मी, वर्षा, जाड़ा हरदम बड़े कष्ट से सहता।

माँ हँसकर बोली, सिर पर रख हाथ,
चूमकर मुखड़ा

"बेटा खूब समझती हूँ मैं तेरा सारा दुखड़ा
लेकिन तू तो एक नाप में कभी नहीं रहता है
पूरा कभी, कभी आधा, बिलकुल न कभी दिखता है

"आहा माँ! फिर तो हर दिन की मेरी नाप लिवा दे 
एक नहीं पूरे पंद्रह तू कुर्ते मुझे सिला दे।"
~ रामधारी सिंह "दिनकर" 

Chand Ka Kurta Poetry Video Class 3 & 5 - Ramdhari Singh Dinkar Poem's



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चाँद का झिंगोला कविता का अर्थ आप मै ने समझाया जिसमे मैने आपको बताया की झिंगोला का हिंदी अर्थ "बोरी आकार जैसा का बड़ा कपड़ा" जिसे English में Plexus कहते है, चांद का कुर्ता कविता को "एक बार की बात, चंद्रमा बोला अपनी मां से" नाम से भी लोग जानते है। ये कविता एनसीईआरटी के कक्षा 3 और 5 में पूछा गया है जिसमे कई सारे Question भी इस कविता से पूछा गया जिसके Answers बहोत जल्द आप को देखने को मिलेगा। उम्मीद करता हु की आप इस कथन को अपने दोस्तो को भी शेयर करें और अपने परिवार को भी बताए।

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