विश्व वानिकी दिवस पर कविता | World Forestry Day Poems

आज की कविता World Forestry Day पर लिखी गयी है और विश्व वानिकी दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है और सबसे पहले 1971 में मनाया गया था। इसकी शुरुआत भारत में तत्कालीन गृह मंत्री कुलपति कन्हैयालाल मणिलाल मुंशी जी ने सन 1971 में की थी। यह महोत्सव भारत में 1950 से मनाया जाना शुरू हुआ। इसको मनाने के पीछे एक ही उद्देश्य था कि सभी देश अपने मातृभूमि और अपनी मिट्टी की कद्र समझे और इस चीज को लेकर जागरूक हो पााएंगे उनकी मिट्टी उनके जंगल उनकी वन संपदा कितनी महत्वपूर्ण है। उनके लिए और वह ही एक कारण है। 

जिसकी वजह से वह मनुष्य जी पा रहे हैं वरना दिन व दिन बढ़ती जा रही इस अर्थ के साथ पीछे लगी भीड़ में लोगों के अंदर सच में महत्वपूर्ण चीजों का महत्व समझने की क्षमता कम होती जा रही है। और वे इस चीज को भूलते जा रहे हैं कि वाणी की प्रेम जंतुओं से प्रेम आपस में प्रेम इन लालच भरी चीजों से कहीं बढ़कर है। 

विश्व वानिकी दिवस पर कविता | Poem poetry World Forestry Day in Hindi
Happy World Forestry Day 2021

पृथ्वी में हम सभी प्राणियों को उस ईश्वर ने जीवन की भेंट प्रदान की है। तो साथ ही साथ हम सभी को एक जीवन चक्र से जोड़ा गया है। जिसका अर्थ है। कि यदि अगर किसी भी कारणवश किसी एक तरह के प्राणी का जीवन विलुप्त हो जाए तो एक दूसरे प्राणी के जीवन पर भी उतना ही असर डालता है और उसको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।और यह भी संभव है कि आगे आने वाले दिनों में उसका खुद का भी जीवन खतरे में पड़ सकता है। 

विश्व वानिकी दिवस पर कविता इन हिन्दी | Poem on World Forestry Day in Hindi


उदाहरण के लिए जैसे अभी हम मधुमक्खियों को लेते हैं। तो आप सोचोगे भला मधुमक्खियों के विलुप्त हो जाने से हमें किस प्रकार से हानि पहुंचेगी परंतु हम आपको बता दें कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा ये कहाँ गया है। कि जिस समय इस पृथ्वी से मधुमक्खियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उसके करीब 3 वर्ष बाद ही मनुष्य भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगा और एक और चौंकाने वाली बात हम आपको बताते हैं कि मधुमक्खियां रोज सैकड़ों की संख्या में मर रही हैं जानते हैं।

क्योंकि मनुष्य द्वारा हम लोग जिन जिन फूलों का आम तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। यह मधुमक्खियों को उनके घर यानी कि उनके छत्ते तक जाने से रास्ता भटक जाते हैं। और वे मर जाती हैं कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था। कि वृक्षों का अर्थ है। जल जल का अर्थ है जिस पर्यावरण में हम रह रहे हैं। उसको किसी भी प्रकार से क्षति पहुंचाना खुद के अस्तित्व के साथ खेलने के बराबर है।

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