महात्मा गांधी पर कविता| Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

आज की कविता बाबू जी जिन्हें हम महात्मा गांधी के नाम से भी जानते है इसलिए आज बापु जी पर कविता यानि महात्मा गांधी पर कविताए लिखी गई है ताकि विद्यार्थी जो कक्षा 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के क्षात्र है वे अपने निबंध  परीक्षा में अच्छा कर सके।

महात्मा गांधी जी की ब्रिटिस के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता और रास्ट्र पिता माना जाता है इनका पूरा नाम मोहन दास क रामचन्द गांधी था महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर1869 को गुजरात में हुआ था इनके पिता का नाम क रामचंद्र गांधी था मोहन दास की माता का नाम पुतलीबाई था क्रमचन्त्र कि चौथी पत्नी थी मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी अंतिम संतान थे गांधी की माँ पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थी उनकी दिनचर्या घर औऱ मन्दिर में काटती थी वह नियमित रूप से उपवास रहती थी और परिवार में किसी को बीमार पड़ने पर उनकी सेवा सत्कार में दिन रात एक कर देती थी।

महात्मा गांधी पर कविता| Poem on Mahatma Gandhi in Hindi
Gandhi Ji Par Kavita


मोहन दास लालन पालन वै सदाम मत में रमे परिवार मे हुआ और उन पर कठिन नीतिया वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा जिसके मुख्यविस्व की सभी वास्तव को शासन मानते थे इस प्रकार उन्होंने स्वभाविक रूप में अहिँसा शाकाहार अत्यसुधी के लिए उपावस और पाठो को मानने वालों बिन रहकर सभी सही सृत को अपनाया  मोहन दास एक औसत विद्यार्थी थे हालांकि उन्होंने यदा कड़ा पुरस्कार और वृंतिया भी जीती वह पढ़ाई व खेल दोनो में ही तेज थे  वह बीमार पीता की सेवा करना।

महात्मा गांधी पर कविता| Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

मुख में रहता हे राम हे राम
मोहन दास कर्मचन्द है नाम
किया नही कभी भी आराम
सत्य अहिंसा पे किया काम

सावरमती का संत कहलाया
सही रास्ता जन जन को दिखलाया
तभी महात्मा गांधी बापू कहलाया
भारत माता को आजाद कराया
-कामिनी गोलवलकर

घरेलू कामो में मा का हाथ बटाना और समय निकलने पर दूर दूर तक अकेले सैर पर निकलना उन्हें बहुत पसंद था। उन्ही के शब्दों में उन्होंने बडो का आज्ञा का पालन करना सीखा। उनकी किशोरावस्था में उनकी उम्र के अधिकांश बच्चो से हलचल भारी नही था। हर ऐसा नादानी के बाद स्वयं वादा करते फिर ऐसा नही करूँगा। और अपने वादे पर अटल रहते उन्होंने अपने आत्म सुधार की ज्वाला जलती रहती थी।

Mahatma Gandhi Poem In Hindi


बापू तेरे देश में...
बापू तेरे देश में हार रहा इंसान
ना जाने कैसे खोखला हो रहा उसका इमान
बन रहा है वो इंसानियत का दुश्मन...
खत्म हो रहा है उसमें अपनापन

बापू तेरे देश में...
हो रही जात- धर्म के नाम पर राजनीति
जाने कहाँ खो गयी तेरी वो अहिंसा वाली पाती
कहाँ गया तेरा वो सत्य वाला उपदेश
लगता है उसे भी भूल गया तेरा ये देश...

बापू तेरे देश में...
देखो देश की बदल गयी है सूरत
आ जाओ बापू एक बार फिर है तुम्हारी जरूर
पटको एक बार फिर वही लाठी
जिससे हिल गयी थी अंग्रेज हुकूमत की छाती...

बापू तेरे देश में हार रहा इंसान
एक बार फिर मुझको पुकार रहा इंसान....
-कृष्णा पटेल

महात्मा गांधी 30 जनवरी पुण्यतिथि के अवसर पर कविता


बापू ने सत्य को अपना अधिकार बताया, 
अहिंसा का हमकोअर्थ समझाया।
असहयोग हो, तो भी हो सविनय,
 हर समस्या पर चाहें शांति से विजय।

सच हमने बापू को पूरी तरह नहीं जाना, 
बुरा मत देखो, तो क्या सब कुछ सहना,
 आंख मूंदकर रहना।
बुरा मत सुनो, सही अर्थ जानो,
 हर गरीब की आह सुनो।
बुरा मत कहो तात्पर्य यह भी नहीं
 कि अन्याय पर भी मौन रहो।

क्या इंतजार है हमको,
चौथा बंदर आए कहे जागो,
 कुछ तो करो ।
हम अपने राष्ट्रपिता के मनोभावों को जानें, 
गर्व करें और अपने को पहचानें। 
-मंजुला भूतड़ा
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हिंदी कविताएँ




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महात्मा गांधी के बारे में लिखी गई जानकारी आपको चाहिए होगी और मित्र अमृत याद इनके बारे में और अधिक जानकारी अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करके इकट्ठा करेंगे।

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