आज की कविता मोर जिसे हम मयूर के नाम से भी जानते है इसलिए आज मोर पर कविता यानि मयूर पर कविता लिखी गई है ताकि विद्यार्थी जो कक्षा 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के क्षात्र है वे अपने निंबन्द परीक्षा में अच्छा कर सके।
मोर भारत का राष्ट्रिय पक्षी हैं और मोर एक बहुत ही सुंदर और जमीन पर रहने वाला पक्षी है। मोर को संस्कृत में "मयूर" भी कहा जाता है। मोर का पंख बहुत ही आकर्षक और मोर के पास बहुत सारे पंख होते है मोर तो वैसे पंख नही फैलता है। लेकिन वसंत ऋतु और वर्ष ऋतु में मोर जब खुशी से नाचता है तो वह अपने सारे पंख फैला लेता है। पंख फैलाने के बाद वह और भी सूंदर दिखता है। मयूर का पंख सभी को अच्छा लगता है मोर के पंख को सजावट के समान में इस्तेमाल किया जाता है और हमारे भगवान श्री कृष्ण अपने माथे पर लगाते थे जो सभी लोगो को बहुत लुभाता है। मोर का वजन 5 से 10 किलोग्राम का होता है।
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Poem On Peacock In Hindi |
यह सूंदर होने के साथ साथ बहुत ही चतुर और सतर्क, शर्मीले, स्वभाव का होता है। यह ज्यादातर अकेले ही रहना पसंद करता है यह इंसानो से एक निश्चित दूरी बनाए रखता है। उसके पैरों का रंग मटमैला और सफेद रंग का होता है । और इसके पंजे तीखे और नुकीले होते है। इस लिए इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है, मोर अपने समुदाय के साथ रहने वाला पक्षी है। मोर हमारे भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है। मोर के बहुत रंग बिरंगे पंख होते है और पंख लंबे सतरंगी और चमकदार होता है। मोर के सिर पर जन्म से ही प्राप्त एक मुकुट होता है। मोर शाकाहारी और मांसाहारी दोनो प्रकार के होते है ।
मोर पर कुछ कविताएँ। Peacock Poems In Hindi
मोर ज्यादातर जंगल में ही रहता है और जमीन पर ही रहता है, मोर घोसला नही बनता है और मयूर को साँप खाना बहुत पसंद है मोर को देखते ही लोगो के मन खुश हो जाते है। मोर सिर्फ भारत का राष्ट्रीय पक्षी ही नही मोर म्यांमार का भी राष्ट्रीय पक्षी है।
इनके पंख पर चपटे चम्मच की तरह नीले रंग की आवृति जिस पर रंगीन आंखों की तरह चित्ति बानी होती है, पूछ की जगह पंख एक शिखा की तरह ऊपर की ओर लंबी रेल की तरह एक पंख से दूसरे पंख के ऊपर जुङे होते है। यह केवल खुले जंगल या खेतो में पाये जाते है जहाँ इन्हें भोजन के लिए बेरीज, अनाज मिल जाता हैं।
उम्मीद करता हु की आपको हमारे टीम के लोगो के कविताएँ आपको बहोत सुंदर लगी होगी बस आप से यही आशा करूँगा की आप खुश रहे और हमारी लिखी गई कविताये पड़ते रहे।